KAVITAGIRI
Wednesday 16 May 2012
'' तेरे बिन ''
सुलझी सी थी ज़िन्दगी , उलझी तुझ बिन अब है
हमराही के बिन भी अब ,चलने का क्या मतलब है
खुशियाँ और गम बांटू भी तो किस से प्रमोद ..?
एक मैं हूँ तन्हा सा यहाँ , और ऊपर बैठा मेरा रब है
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